दोस्तों आपने अपने जीवन में बहुत सी प्रेम कहानिया देखी होंगी। प्रेम कहानियो में मिलना भी होता है कुछ में बिछड़ना भी होता है। कुछ प्रेम कहानिया जन्मो जन्मो तक अमर हो जाती है। पर आज आपको एक ऐसी प्रेम कहानी बता रहा हु जो की अनोखी भी है और प्रेरणादायक भी। इस कहानी के बारे में मुझे
एक न्यूज़ पेपर के द्वारा पता चला तो सोचा की ये कहानी आप लोगो से भी शेयर की जाए, ये कहानी शुरू होती है राजस्थान से जहा :-
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दिनेश मेघवाल निवासी लक्कड़वास (राजस्थान) की पहली मुलाकात उदयपुर नारायण सेवा समिति के अस्पताल में सतना की सुष्मिता सिंह बागरी से हुई थी। वर्ष 2013 में सुष्मिता को लेकर उसके परिजन यहां पहुंचे थे। दिनेश यहां पर केयर टेकर का कार्य करता था। पैरों से विकलांग सुष्मिता कई बार परिजन के साथ अस्पताल पहुंची और इत्तफाक से हर बार दिनेश ही उसकी देखभाल के लिए मिला। यहां दोनों को बीच इस कदर प्यार हुआ की दोनों ने शादी कर एक साथ रहने की कसम खा ली। सुष्मिता की विकलांगता भी प्यार के बीच नहीं आई।
दिनेश ठान चुका था कि वह सुष्मिता से ही शादी करेगा। इसके लिए सुष्मिता के परिजन से भी बात की। पहले तो उसके माता-पिता व भाई ने शादी करने से इंकार कर दिया। वहीं दिनेश के परिजन भी विकलांग बहू लाने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। आखिर कार मई 2014 में दोनों की कोशिश रंग लाई। सुष्मिता के पिता की सहमति तो नहीं मिल पाई लेकिन मां व भाई शादी के लिए तैयार हो गए। वहीं दिनेश के परिजन भी बेटे की जिद पर शादी के लिए तैयार हो गए। मई में दोनों ने शादी कर ली।
दिनेश ने यह सोच लिया था कि वह अपनी पत्नी को पढ़ा-लिखाकर आत्मनिर्भर बनाएगा। शादी के बाद से सतना में कुछ दिन काम करने के बाद जब गुजर-बसर नहीं हो पा रहा था तो दिनेश पत्नी सुष्मिता को लेकर काम की तलाश करने लगा। कई शहरों में भटकने के बाद कुछ दिन पहले वे दोनों खंडवा पहुंचे। यहां दिनेश को एक कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नौकरी मिल गई। पति के हौंसले से पत्नी सुष्मिता की भी पढ़ाई की ललक जाग उठी। पत्नी के हामी भरते ही उसने पड़ावा स्थित गर्ल्स डिग्री कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में उसका एडमिशन करा दिया।
अब प्रतिदिन दिनेश पत्नी को छोड़ने व लेने कॉलेज जाता है। दोपहर में भी कभी पत्नी के हाल जानने कॉलेज पहुंच जाता है। कॉलेज में छात्राएं भी सुष्मिता की मदद के लिए तत्पर रहती है। सुष्मिता को कमर में दर्द के बाद ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद उसे पहले एक और बाद में दूसरे पैर में संक्रमण हो गया। स्थिति कुछ ऐसी बनी कि उसके दोनों पैर काटना पड़ गए थे। अब नकली पैर लगवा दिए है। हालांकि इनके सहारे वह कुछ देर खड़ी तो हो जाती है लेकिन चल नहीं पाती है।
True Love Story in Hindi. Bahut achi kahani hai
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